जब सुविधाएं हैं ही नहीं तो अस्पताल में भर्ती क्यों किया। इसी लापरवाही का खामियाजा अपनी जान देकर चुकाना पड़ा 43 वर्षीय संदीप डबराल को
, उत्तराखंड में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की हालत कैसी है यह सरकार से ज्यादा आम जनता ज्यादा जानती है सरकारें चाहे कितना भी अपनी उपलब्धियों का ढोल पीटते नजर आए लेकिन आज भी उत्तराखंड में सरकारों द्वारा दी जा रही स्वास्थ्य सेवाएं ना काफी है इन्हीं कमियों के कारण आज प्रदेश के बड़े-बड़े शहरों में आपको बड़े-बड़े निजी अस्पताल दिख जाएंगे जो आपको बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने का दावा करते हैं वही लोगो को ना चाहते हुए भी इन महंगे अस्पतालों में इलाज कराने मजबूर होना पड़ता है कहते हैं ऊंची दुकान फीके पकवान ऐसा ही एक मामला कोटद्वार के एक निजी अस्पताल मैं देखने को मिला जहां सुविधाओं की कमी का खामियाजा 43 वर्षीय युवक को अपनी जान देकर चुकानी पड़ गई जी हां हम बात कर रहे हैं कोटद्वार की देवी रोड स्थित कामाख्या सुपर स्पेशलिस्ट अस्पताल की जहां डेंगू का इलाज के लिए भर्ती हुए 43 वर्षीय संदीप डबराल को अस्पताल में 2 दिन अस्पताल में भर्ती रखने के बाद मरीज की हालत बिगड़ती देख मरीज के परिजनों को यह कहते हुए रेफर करने को कहा मरीज के प्लेटलेट्स लगातार गिर रही है इन प्लेटलेट्स को बढ़ाने की सुविधा हमारे पास नहीं है अगर आप प्लेटलेट बढ़ाने की सुविधा का अरेंज कर सकते हैं तो जल्दी कर दीजिए अस्पताल की इस ऑफर को मृतक के बूढ़े माता पिता और पत्नी समय पर नहीं कर पाए तो हाथ से मामला निकलता देख अस्पताल प्रशासन ने परिजनों को मरीज को जल्द से जल्द आप 2 घंटे की दूरी के भीतर जो भी बड़ा अस्पताल आता हो वहां ले जाएं आनन-फानन मरीज के परिजन मरीज को लेकर एम्स ऋषिकेश की ओर चल दिए एम्स ऋषिकेश पहुंचते ही डॉक्टरों ने मरीज को जांच के बाद ब्रॉड डेड घोषित कर दिया वही आक्रोशित परिजनों ने इस निजी अस्पताल में पहुंचकर हंगामा काटा अस्पताल प्रशासन से पूछा अगर आपके पास इलाज की सुविधाएं नहीं थी तो आपने मरीज को अस्पताल में भर्ती किया ही क्यों अगर अस्पताल प्रशासन द्वारा समय पर इन कमियों के बारे में बता दिया होता तो आज मेरा भाई जिंदा होता।
वहीं अस्पताल प्रशासन ने इलाज में की गई लापरवाही करने के आरोपों को सिरे से नकारते हुए सारा ठीकरा मृतक के परिजनों पर डालते हुए कहा की हमने मृतक के परिजनों को पहले ही सभी परिस्थितियों के बारे में बता दिया गया था।