टिहरी और पौड़ी जिले के दर्जनों गांवों की आवाजाही के लिए करीब ढाई सौ साल पूर्व अलकनंदा नदी पर बनाए गए झूला पुल पर प्रशासन और विभाग ने आवाजाही बंद कर दी है। इससे करीब 35 गांवों के लोगों सहित संस्कृत विश्वविद्यालय व अन्य शिक्षण संस्थाओं में अध्ययनरत छात्रों को करीब दो किमी की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ेगी।गुजरात के पुल हादसे के बाद जिला प्रशासन पौड़ी ने सुरक्षा की दृष्टि से अलकनंदा नदी पर बने झूला पुल पर लोगों की आवाजाही को पूर्णरूप से बंद करने का फैसला लिया है। पुल के निरीक्षण के दौरान मौके पर मौजूद एसडीएम पौड़ी आकाश जोशी, लोनिवि श्रीनगर के अधिशासी अभियंता आरपी नैथानी, पालिकाध्यक्ष केके कोटियाल व तहसीलदार मानवेंद्र ने लोगों को यह जानकारी दी। कहा कि पुल पर सीमित आवाजाही के लिए मार्च में चेतावनी बोर्ड लगाया गया था बावजूद इसके पुल पर लगातार लोगों का भारी संख्या में आना जाना बना हुआ है। ऐसे में अब पुल को पूरी तरह बंद करने का निर्णय लिया गया है। साथ ही छात्र-छात्राओं की आवाजाही के लिए पालिका को बस सेवा शुरू करने के लिए पत्र भी सौंपा गया है। लोनिवि के अधिशासी अभियंता आरपी नैथानी ने कहा कि दो वर्ष पूर्व यहां पर 5.41 करोड़ की लागत से 100 मीटर स्पान का स्टिल ट्रस पुल के निर्माण के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा गया था लेकिन अभी तक इसकी मंजूरी नहीं मिल पाई है। पुल के निरीक्षण के दौरान बाहबाजार के लोगों ने प्रशासन से कहा कि पुल पर आवाजाही बंद होने से उन्हें 200 मीटर दूर संगम पर पहुंचने के लिए करीब दो किलोमीटर से अधिक की दूरी नापनी पड़ेगी। कहा कि प्रशासन और विभाग को पुल पर आवाजाही बंद करने से पूर्व यहां पर नए पुल का निर्माण करना चाहिए था
सिद्धांत उनियाल
संपादक