उत्तराखंड में वन पंचायतों के सरपंचों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. सरपंचों ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर विचार नहीं किया तो वो लोकसभा चुनाव और पंयाचत चुनाव का बहिष्कार करेंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि जब तक उनकी मांगों पर विचार नहीं किया जाएगा, उनकी ये लड़ाई जारी रहेगी.पौड़ी जिले के श्रीनगर में कुमाऊं और गढ़वाल मंडल के वन पंचायतों के सरपंच एकत्र हुए. इस दौरन उन्होंने सात मांगों को मीडिया के जरिए सरकार के सामने रखा. वन पंचायतों के सरपंचों की प्रमुख मांग वेतन देने की है. उनका कहना है कि वो लंबे समय से सरकार के सामने अपनी मांगों को रख रहे हैं, लेकिन सरकार है कि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दे रही है. आयोजित वन पंचायत संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष ईश्वर जोशी ने कहा कि उनकी सरकार से सात सूत्रीय मांग है, जिसे सरकार को वन पंचायतों के विकास के लिए मानना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि जंगलों की आग को बुझाने में सबसे आगे पंचायत प्रतिनिधि होते हैं, लेकिन सरकार उन्ही की तरफ ध्यान नहीं देती है.इसके साथ ही उनका कहना है कि वन विभाग, वन पंचायतों आवाश्यक हस्तक्षेप बंद करे. वन पंचायतों के चुनाव समस्त प्रदेश में एक साथ गुप्त मतदान के जरिए राज्य चुनाव आयोग की देख रेख में किए जाए. इस दौरान पंचायत सरपंचों ने कहा कि वन विभाग सोया हुआ है. वनों में तेजी के साथ अतिक्रमण किया जा रहा है, लेकिन इन्हें रोकने में वन विभाग नाकाम है.
सिद्धांत उनियाल
संपादक