विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ने लगी हैं सभी दलों ने पूरी ताकत झोंकनी शुरू कर दी है इसके तहत प्रत्याशियों की ओर से भी दावेदाारिया प्रस्तुत कर शक्ति प्रदर्शन किया जा रहा है चुनावी जनसभाओं का दौर भी शुरू हो चुका है और राजनीतिक दलों के द्वारा जनता को अपने पक्ष में मतदान करने करने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जा रही है। वहीं कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत ने प्रदेश में चुनाव प्रचार की कमान अपने हाथों में ले रखी है और जगह-जगह चुनावी रैली कर लोगों से कांग्रेस के पक्ष में मतदान करने की अपील भी कर रहे हैं। वही यमकेश्वर विधानसभा के डाडामंडी में आयोजित चुनावी सभा में हरीश रावत की मौजूदगी में कांग्रेस नेता शैलेंद्र रावत ने मंच से यह नारा और बयान दिया कि “अबकी बार निर्दलीयों पर वार” यह नारा कोई चुनावी नारा नहीं था इस नारे के पीछे 2017 में हुई हार का दर्द था क्योंकि गढ़वाल मंडल की यमकेश्वर विधानसभा सीट एक ऐसी सीट है जिस पर कांग्रेस पिछले 20 वर्षों से एक भी बार जीत हासिल नहीं कर पाई । लोगो का मानना कि इस सीट पर कांग्रेश की हार के पीछे कांग्रेस ही होती है क्योंकि इस सीट पर कांग्रेस की अंदरूनी गुटबाजी हमेशा चरम पर होती है जो चुनाव के समय पर खुलकर सामने आती है वहीं कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि अगर कांग्रेस के नेता बागी होकर निर्दलीय चुनाव न लड़े और एकजुट होकर चुनाव लड़े तो निश्चित रूप से कांग्रेश यमकेश्वर विधानसभा में अपना जीत का परचम लहराते
भले ही कांग्रेस के तीनों कैंडिडेट एकजुट होकर कांग्रेस को जिताने की बात कर रहे हो । मगर जिस प्रकार शैलेंद्र रावत नारा दे रहे हैं “अबकी बार निर्दलीयों पर वार ” इससे यह लगता है की कॉन्ग्रेस के अंदर टिकट की दावेदारी का संघर्ष चरम पर है। या फिर शैलेंद्र् रावत को बगावत की महक आने लगी है । जिस को रोकने की कोशिश वे अपने बयानों से करते नजर आ रहे हैं।