कहते हैं कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं। अपराधी कितना ही शातिर क्यों ना हो लेकिन कानून पकड़ उससे भी कहीं अधिक होती है। पौड़ी की विशेष सत्र न्यायाधीश (पोक्सो) आशीष नैथानी की अदालत ने दुष्कर्म के मामले में उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के एक अभियुक्त को दस वर्ष की कठोर सजा से दण्डित किया है। विशेष लोक अभियोजक (पोक्सो) विजेंद्र सिंह रावत ने बताया कि तहसील पौड़ी के अंतर्गत एक गांव की रहने वाली पीडिता 25दिसंबर 2019 को पीड़िता बाजार से लापता हो गई थी। पीड़िता के पिता द्वारा कुछ दिन खोजबीन करने के बाद जब पीड़िता का कुछ पता नहीं चला तो पीड़िता के पिता 30दिसम्बर को ने स्थानीय राजस्व चौकी में पीड़िता की गुमशुदगी दर्ज कराई। गुमशुदगी दर्ज कराने के लगभग नौ महीने (सितम्बर माह में) बाद पीड़िता ने अपने पिता को फोन किया और बताया कि वह अभियुक्त के साथ उसके गांव में है जो कि गाजियाबाद जिले के अन्तर्गत आता है।अभियुक्त को जब यह पता चला की पीड़िता के पिता ने गुमशुदगी दर्ज की है तो वह पीड़िता से शादी करने हेतु ज्वाल्पा देवी मन्दिर आया, जहां राजस्व पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया व अभियुक्त के कब्जे से पीड़िता को बरामद कर लिया।पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के सामने अपने बयान में बताया कि अभियुक्त उसे बहला फुसलाकर शादी का झांसा देकर गाजियाबाद अपने गाव ले गया। जहां घरवालों ने अभियुक्त के साथ उसकी शादी कर दी। अभियुक्त पीड़िता को अपनी पत्नी की तरह रखता था। जब राजस्व पुलिस ने पीड़िता को बरामद किया उस समय पीड़िता लगभग पांच माह की गर्भवती थी। पीड़िता के बयान के आधार पर विवेचक ने धारा 366,376 भा दं संहिता व पोक्सो एक्ट की धारा 5/6 जोड़ दी गई। मामले के विचरण के दौरान पीड़िता ने एक शिशु को जन्म दिया।नवजात शिशु व अभियुक्त का डी एन ए विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजा गया । वहां की रिपोर्ट के अनुसार अभियुक्त नवजात शिशु का जैविक पिता पाया गया। अभियोजन पक्ष की ओर से न्यायालय में कुल आठ गवाह पेश किए गए।सभी ने अभियोजन के कथानक का समर्थन किया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद विशेष सत्र न्यायाधीश, पोक्सो ने अभियुक्त को धारा 376में दस वर्ष का कठोर कारावास तथा पचास हजार जुर्माना,धारा363 आई पी सीमें तीन वर्ष की सजा व तीन हजार जुर्माना,,धारा 366 आई पी सी में पांच वर्ष सजा व पांच हजार जुर्माना की सजा सुनाई गई। सभी सजाए एक साथ चलेगी।अदालत ने पीड़िता को दो लाख प्रतिकर देने का भी आदेश दिया।
सिद्धांत उनियाल
संपादक