चौबट्टाखाल विधानसभा में कांग्रेस में गुटबाजी चार धडो़ मे बंटी कॉन्ग्रेस
समीक्षा
यूँ तो उत्तराखंड राज्य में राजनीतिक दलों में गुटबाजी सर्व्वविदित है सभी दलों में गुटबाजी देखने को मिलती है | चाहे भाजपा हो या कांग्रेस याा फिर उत्तराखंड क्रांति दल इन राजनीतिक दलों में वर्चस्व की लड़ाई किस कदर हावी है इन नेताओं के बयानों से नजर आ जाती है जहाँ भाजपा में गुटबाजी होती तो है लेकिन केवल अंदर खाने ही दिखाई देती है| जिसका असर कार्यकर्ताओं के मनोबल पर नहीं पड़ता और कार्यकर्ता चुनाव में पूरी ताकत के साथ कार्य करते हैं जिस कारण भाजपााा चुनाव में विजय पताका फहरानेे में सफल हो जाती है |
वही प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस मैं गुटबाजी चौराहे पर दिखती है | बात की जाए चौबटाखाल विधानसभा की कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के सामने अकेले खड़े दिखाई देते हैं तो कांग्रेस चार धडो़ में बंटी हुई नजर आती है। सभी कांग्रेसी नेता 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में टिकट की दावेदारी करते नजर आ जाएंगे। यह सभी नेता अपने अपने कार्यकर्ताओं के साथ क्षेत्र में अलग-अलग स्थानों पर बैठक और कार्यक्रम करते नजर आ जाएंगे इस वक्त चौबट्टाखाल कांग्रेस चार धड़ों में बंट चुकी है
|पहला गुट राजपाल बिष्ट जो कि दो बार चुनाव इस विधानसभा से लड़ चुके हैं और उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा | साढ़े चार साल बाद चुनाव नजदीक आते ही राजपाल बिष्ट पूरी तरह जनता के बीच जाकर अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर रहे हैं | वैसे तो राजपाल बिष्ट सरल स्वभाव के धनी है केंद्र में अच्छी पकड़ भी रखते हैं मगर आम जनमानस के बीच अपनी पैठ नहीं बना सके केवल कांग्रेश के काडर वोट ओरकुछ स्वार्थी कार्यकर्ताओं को साथ लेकर चुनाव रण में उतरते रहे जिस कारण दो बार चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा।
वही दूसरा नाम है कवींद्र इष्टवाल का जो पहले भाजपा में थे और 2017 में निर्दलीय चुनाव लड़ा तथा अपना अच्छा खासा दम दिखा चुके हैं | कवींद्र इष्टवाल सरल स्वभाव के धनी तो है ही, सबको साथ लेकर चलना आता है | कवींद्र आम जनता को महत्व ज्यादा देते हैं, यही कारण है कि उनकी पैठ आम जनता के दिलो में रहती है | कही पर यदि कोई बैठक होती है, तो कवींद्र हर गुट के लोगो से इस तरह से पेश आते हैं | जैसे उन्हें पता ही न हो कि ये अलग गुट का है और यही कारण है कि कांग्रेस के चारो गुटों के कार्यकर्ता भी दिल ही दिल में कवींद्र को योग्य नेता समझते हैं | कवींद्र हमेशा संगठन को महत्व देते हैं | वो हमेशा कहते हैं कि टिकट महत्व नही रखता जीत महत्व रखती है | | विगत साढ़े चार सालों से लगातार कवींद्र हर न्याय पंचायत स्तर पर बैठके करवाते रहते हैं और जबसे कवींद्र कांग्रेस में आये तो चौबट्टाखाल में कांग्रेस को मजबूती मिली है |
अब बात करते हैं शराब के कारोबार से लेकर ब्लाक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी तक हाथ अजमा चुके केशर सिंह नेगी की जो इस बार चौबट्टाखाल विधानसभा से अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं क्योंकि इनका ससुराल इसी विधानसभा में है धन बल की कोई कमी नहीं है राजनीतिक गलियारों में अच्छी पकड़ भी है और कांग्रेस के मनीष खंडूरी के नजदीकी माने जाते हैं
कहा जाता है आज के वक्त में बिना धनबल की आप चुनाव नहीं लड़ सकते ऐसा ही कुछ है कांग्रेस के पूर्व ब्लॉक प्रमुख सुरेंद्र रावत के साथ अच्छे वक्ता होने के साथ-साथ क्षेत्र में हर तबके के दुख सुख में साथ खड़े रहने वाले सुरेंद्र रावत अकेले दिखाई देते हैं जिसके कारण उनके साथ हुजूम खड़ा नही रहता है लेकिन फिर भी अपनी साफ छवि और कांग्रेस के निष्ठावान कार्यकर्ता छवि को लेकर इस बार टिकट की दावेदारी कर रहे हैं ।
सबसे बड़ा सवाल यही है अपनी अपनी डफली अपना अपना राग अलापने वाले और आपसी गुटबाजी में उलझे यह कांग्रेसी नेता क्या एक होकर भाजपा को शिकस्त दे पाएंगे