जंगलों की आग धीरे- धीरे बेकाबू हो रही है। बुधवार को जिले की कई रेंजों में जंगल आग से धूं-धूंकर जलते रहे। पोखड़ा, केवर्स, श्रीनगर, सतपुली, दीवा और पैठाणी क्षेत्रों में जंगलों में बुधवार को आग रही। आग पर काबू पाने के लिए फायर वाचरों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। केवर्स के जंगलों में फैली वनाग्नि पर काबू पा लिया गया था। जंगलों में आग के कारण आसमान में भी चारों ओर धुंध छा रहा है। डीएफओ गढ़वाल सोहन लाल ने बताया कि आरक्षित वन क्षेत्रों में सिविल से ही आग जा रही है। इन दिनों खेतों में गेहूं की कटाई भी चल रही है। स्थानीय स्तर पर किसान कटाई के वैस्ट को जलाने का भी काम कर रहे है। यही आग आगे जंगलों तक भी फैल रही है। डीएफओ ने अपील की है कि नाप खेतों किसी तरह की आग न लगाई जाए। बहुत जरूरी है तो उसे निगरानी में ही किया जाए और आग को पूरी तरह से बुझा भी दिया जाए ताकि वह आगे न फैल पाए। बुधवार को आग की 13 घटनाएं सामने आई। पोखड़ा की रेंज राखी जुयाल ने बताया कि अधारियाखाल के पास दो जगहों पर आरक्षित वन में आग है। जबकि एक जगह सिविल में आग है। आरक्षित वनों की आग पर काबू पाने के लिए टीम लगी है। जल्द ही इस पर काबू पा लिया जाएगा। अब तक जंगलों की आग की 115 घटनाएं हो गई है। जिसमें आरक्षित वन क्षेत्र 93.90 हेक्टेअर तो सिविल एवं पंचायती वन 82.45 हेक्टेअर जले है। वन महकमे की रिपोर्ट में अभी तक जंगलों की आग से करीब साढे़ पांच लाख की वन सम्पदा को नुकसान बताया गया है। अफसरों के मुताबिक जहां-जहां जंगलों में आग की घटनाएं हो रही है वहां फायर वाचर और पूरी टीम काम कर रही है। कोशिश की जा रही है कि आग रिहाशी इलाकों में न आए और आरक्षित वन क्षेत्रों तक नहीं पहुंचे। दिक्कत यह भी है कि ऐसे कई स्थान है जहां फायर बिग्रेड भी नहीं जा सकती है ऐसे में यहां मैनुवल आग बुझाने में काफी समय लग रहा है। लोगों से भी अपील की जा रही है कि इसमें विभागीय सहयोग करे
सिद्धांत उनियाल
संपादक